लेखक की कलम से
अलविदा स्वाति – स्वागत कार्तिक
कविता
इंतजार जब कोई करता है किसी का बाखबर
पैमाने छलक उठतें हैं आंखों में इस कदर
कश्तियां प्रेम की हो या नफ़रत की दोस्तों
लहरें जितनी भी ऊंची हो नहीं रोक पाता समंदर!
कार्तिक मास की सुबह का स्वागत
विकास मन का हो जाए फिर क्या कहने
लोग लगे हैं सारे धन के विकास में
देख जगत में जन-जन कैसे तड़प रहा समेट जरा ले तन को तो बीते समय विकास में!