बिसात चौसर के …
बिसात बिछे हैं यहां चौसर के
एक-एक कर पहचानो ।
दुर्योधन शकुनी और दुशासन
को एक-एक कर पहचानो ।।
राजनीति का चक्रव्यूह है
अर्जुन आकर तोड़ो द्वार
मत भेजो अभिमन्यु को
कर ना सकेगा दुष्ट संघार ।।
इस बार फंसा जो अभिमन्यु तो
फिर किला बंद हो जाएगा
इतिहास के काले पन्ने पर
पुनः अभिमन्यु वध हो जाएगा ।।
अगर तैयार कर सकते हो
तो करो कई अभिमन्यु तैयार
जो दुश्मन के कुटिल चाल को
ध्वस्त करेगा हर एक बार ।।
अधूरी शिक्षा की नहीं जरूरत
पूर्ण करो तुम शिक्षाशास्त्र
सुभद्रा की भी निद्रा का अब
रखना होगा तुमको ख्याल ।।
इतिहास पुरुष हो इस कलयुग के
जनता तुम ही हो कर्णधार।
भविष्य में अच्छे कर्मों का
इतिहास करेगा आपसे सवाल ।।
जनता ही कृष्ण यहां है
जनता ही है अर्जुन आप
धर्म रथ के इस अश्व का
जनता हीं संचालक आप ।।
जनता को ही तोड़ना होगा
इस दुर्योधन का जंघा आप ।
शकुनि के कुटिल चाल का
जनता को ही देना जवाब ।।
कल पुनः जब होगी चक्रव्यूह की बातें
तब होगी अभिमन्यु की वीरता का बखान
इस कलयुगी कुरुक्षेत्र में
तब न फँसेगा अभिमन्यु का जान।।
सात दरवाजे तोड़ डालेगा
और वेधेगा हरएक एक लक्ष्य
विजेता बनकर फिर निकलेगा
अभिमन्यु का विजयी रथ ।।3
©कमलेशझा, फरीदाबाद