लेखक की कलम से

चलते चलो …

 

लाख कोशिश कर ले कोई हमने पीछे मुडेंगे

राह में बिछे काटे सही हम न रुकेंगे

आवाज़ वक्त ने दी है आगे बढ़ते चलो

जिंदगी के हर मुकाम को पाते चलो

हवा के रुख यह कहती है

आसमान की गूंज यह कहती है

स्वर्ण अक्षरों में नाम अपना लिखना है

सफ़र मैं हमसफर हमें ही चुनना है

रास्ते में नहीं जो हमें मंजिल दिखाएं

रास्ते तो वे हैं- जो हमें जीवन की डगर पर चलना सिखाए

कोशिश करने वाले कभी हारा नहीं करते

चुप चुप कर गमों के आंसू पिया नहीं करते

लाख कोशिश कर ले कोई हमें रोक नहीं सकता

लंबा चाहे हो सफर आशाओं को छोड़ नहीं सकता

गिर कर संभलना, संभल कर चलना

इसे हमने फितरत है बनाया

अपनी आकांक्षाओं को सच्चाई का है स्वरूप दिया

हां यादगार हमने इस सफर को बनाया।।

 

©डॉ. जानकी झा, कटक, ओडिशा

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