लेखक की कलम से

कोशिश …

कोशिश…

बहुत करती हूँ कि

अपनी सभी ख्वाहिशो को

छू लू आसानी से

पास सी नजर आती हैं

ख्वाहिशें मेरी

जैसे ही पास आने की

कोशिश…

करती हूँ मै कि पास हूँ

न जाने क्यूं ओर भी

दूर होती जाती हैं

क्यो होती जाती हैं दूर

ख्वाहिशें मेरी

दूर बहुत दूर

कोशिश…

करती रहूंगी कोशिश

लगातार बार बार

यूं ही अपनी सामर्थ्य से

शायद मिले मुझे

सारी ही सोची हुई

ख्वाहिशें मेरी

ओर ये

कोशिश…

……….???

 

©डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद               

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