लेखक की कलम से

तुम्हारे लिए

 “तुम्हारी धुन में

रहने लगी हूँ

भावनाओं में

बहने लगी हूँ

तुमको अपना

कहने लगी हूँ

मान भी लो मैं

शहने लगी हूँ

दर्द भी हँसकर

सहने लगी हूँ

इश्क़ की हद में

ढहने लगी हूँ”  …

©अंशु पाल, नई दिल्ली

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