लेखक की कलम से
हक तो मेरा है…
तेरी यादों पर भी हक तो मेरा है
मुझको फिर दर्द ने उकेरा है
तसव्वुर तो इक ख्याल ही है।
इनको हक़ीकत ने ही बिखेरा है।
दर्द है कसक है इस दिल में जो।
दिया दिल को हर ज़ख्म तेरा है।
वक्त कटता है पल को गिन-गिन।
होता हर पल इस लब पे नाम तेरा है।
हम तो करते है इबादत हरदम ये ही।
रखें वो ख्याल हर पल तेरा है।
नही चाहते एक पल गुजरे तुम बिन।
जहाँ तुम वही समझो मेरा बसेरा है।
बिताते हम जो लम्हे तुम संग-ए-सुधा।
वही हर लम्हा लगता मुझे बस मेरा है।
©सुधा भारद्वाज”निराकृति” विकासनगर, उत्तराखंड