लेखक की कलम से
सब नर करहि परस्पर . . .
निर्णय न्यायालय से आया।
सबके ही है मन यह भाया।।
सभी धर्म समान भारत में।
सारी दुनिया को समझाया।।
सब नर करहि परस्पर प्रीति।
थी राम युग की सुंदर नीति।।
आज अदालत ने दुहरायी।
राम राज्य की कौशल रीति।।
रंग- बिरंगे फूल चमन में।
महके जिनसे वतन हमारा।।
खिलते मोहक रूप लिये ये।
बनें इक दूजे का सहारा।।