लेखक की कलम से

पकते हुए धान की खुशबू मुबारक …

 

फसल बोया था जो हमने

पक कर तैयार है ज़मीं पर

काट कर इन्हीं फसलों को

सहेजकर नया बीज बचाएंगे

 

जीवन का हर पल उत्सव है

मना लो तो त्योहार हो जाए

नई फसल नया उमंग नवजीवन

भूलकर दुख उत्सव मनाएंगें!

 

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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