जुलाई का मौसम …
मौसम जुलाई का लेकर आता हैं ढेर सारी स्मृतियाँ,
अपने हाथों से बनाते थे खिलौने लेकर गीली मिट्टियाँ।1।
इसी मौसम में पहला दिन स्कूल का भी आया था,
डरे-सहमे से रहे हम, हमको कुछ भी न भाया था।2।
फिर दिनचर्या का हिस्सा बन गया था स्कूल,
हम भी रहने लगे थे सहज और हो गये थे कूल।3।
नई कक्षाओं में प्रवेश का उत्साह आज भी स्मृरित हैं,
नई किताबें, बस्ते, यूनिफॉर्म की बात ही कुछ और हैं।4।
नये दोस्त बनाना, पुरानों से रिश्तों का प्रागढ़ होना,
कुछ ऐसा था मानो जीवन का स्वतः चलायमान होना।5।
पंख लगाता समय सावन में किसी झूले जैसा,
अल्हड़पन को दबोचा करता बड़ी संजीदगी सा।6।
कॉलेज के दिनों की जुलाई स्कूलों सी न थी,
दबाव में गुज़रते दिनों में कोई ज़िन्दगी न थी।7।
ऑफिस की जुलाई तो इन सबसे अलग हैं,
यहाँ कोई मौसम नहीं बस नित विकास की ललक हैं।8।
यह मौसम जुलाई का वैसे तो हर साल ही आता हैं,
चाय-पकौड़ों और पुरानी यादों तक ही रह जाता हैं।9।
©वर्षा श्रीवास्तव, छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश