लेखक की कलम से

हे वीर सन्यासी …

शुभ जन्मदिन हे वीर, हे चिर नवीन,
हे चिरयुवा, प्राण पुरुष
हे महामानव, मनुष्य के कालिमा को मिटाने हर युग में आओ।

आप ज्ञान का खजाना हैं, दया के सागर,
आप मानव कल्याणेश्वर हैं, प्रेम है आपका स्रोत ।

आपने विश्व के दरबार में सनातन धर्म को महान बनाया है ,
आपने देश को पहनाया है किरीट
आप सन्यासी हैं, नेता हैं ,
हे उगते सूरज, तुम हो हमारी शान।

हमें आप पर गर्व है, हे महान शिक्षक
छोटे-बड़े भेदभाव भूल गले लगाया सबको
आपने हर भारतवासी के सीने में दीया जलाया है
आपने सबके आत्मा में प्रेम का प्रकाश फैलाया है।

आगे बढ़ने का मंत्र सिखाया है आपने
हे समाज सुधारक, प्रकाश के पथ प्रदर्शक।

कितने आत्माओं से अज्ञान का अंधेरा हटाकर
ज्ञान की रोशनी प्रज्वलित किया है आपने।
कितने राजाओं को अहंकार से मुक्त कर याचक बनाया है आपने।
रोशनी फैलाया है आपने।

 

©मनीषा कर बागची                           

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