पेण्ड्रा-मरवाही

ठंड से बचाव के सरकारी निर्देशों की खुली पोल, दो लोगों की मौत के बाद समाजसेवियों की मदद से हुआ अंतिम संस्कार

पेंड्रा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भले ही ठंड की वजह से कोई जनहानि न हो इसे ध्यान में रखते हुए सभी जिलों के प्रमुखों को सीधे निर्देश दिए हों लेकिन उन निर्देशों को लेकर अधिकारी कितने संवेदनशील हैं यह क्षेत्र में दो लोगों की ठंड से हुई मौत और उसके बाद समाजसेवियों के द्वारा उनके अंतिम संस्कार किए जाने से साबित हो जाता है। सरकारी अमला 24 घंटे के बाद मृतकों के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटा पायी।

इस संबंध में जानकारी के अनुसार कल गौरेला के सेमरा और पतरकोनी गांव में दो लोगों की ठंड से मौत के बाद 24 घंटे के बाद भी उनकी शिनाख्त नहीं होने के बाद पो पोस्टमार्टम के बाद इन दोनों ही शवों की जब शिनाख्त नहीं हो सकी तो इनके सम्मान अंतिम संस्कार का बीड़ा स्थानीय समाजसेवियों ने उठाया और विधिवत तरीके से अंतिम संस्कार कराया गया।

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के मुखिया भूपेश बघेल ने प्रदेश में शीतलहर शुरू होते ही किसी प्रकार की जनहानि को रोकने के लिए समुचित उपाय करने के निर्देश जारी किए हैं। रात के समय जगह जगह अलाव जलाने व जरूरत के हिसाब से माकूल इंतजाम करने के निर्देश भी अधिकारियों को जारी किया गया था। दिसंबर के अंतिम तथा साल के शुरूआत में स्कूलों में कुछ दिनों की छुट्‌टी व समय में बदलाव भी ठंड से बचाव के लिए किया गया। इन सब निर्देशों के बावजूद ठंड से अकड़कर दो लोगों की मौत का मामला सामने आ गया। मृतकों के बारे में सरकारी अमला कोई जानकारी भी नहीं जुटा सका और अंतत: उनका अंतिम संस्कार भी समाजसेवियों की मदद से किया जा सका।

दरअसल कल गौरेला के सेमरा और  पतरकोनी में दो लोगों की मौत ठंड से अकड़ कर हो गई थी पुलिस ने दोनों शवों की शिनाख्त की काफी प्रयास किए पर कुछ पता नहीं चल पाया ऐसे में जब भी इन मृत लोगों के लावारिस होने की जानकारी स्थानीय समाजसेवियों को हुई उन्होंने इन शवों का हमेशा की तरह सम्मान अंतिम संस्कार कराने की उत्कृष्ट समाज सेवा का मिसाल पेश की। लोगों को जब जानकारी हुई की एक साथ दो शव पेंड्रा के पोस्टमार्टम हाउस में आए हुए हैं तो लोगों ने इनके अंतिम संस्कार के लिए पहल की और इन दोनों ही शवों का इंदिरा उद्यान के पास स्थित लावारिस शवों के लिए बनाए गए मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया और दोनों मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

 इस पुनीत कार्य में राकेश जालान, शरद अग्रवाल, मनीष सातूवाला, गणेश जायसवाल, आनंद गोयंका, राकेश मिश्रा, मनीष श्रीवास सहित अन्य लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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