आदिवासी समाज के बिरही पूजा में शामिल हुए अजीत जोगी
करवा चौथ की तरह भरिया समाज की महिलाएं मनातीं है त्यौहार
पेण्ड्रा। भरिया आदिवासी समाज की महिलाओं में जो महत्व बिरही पूजा महापर्व का है वही महत्व अन्य समाज में करवा चौथ का है। दोनों ही पर्व में महिलाएं अपने पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और रात में चांद को देखने के बाद अपना उपवास तोड़ती है।
उपरोक्त बातें पूर्व मुख्यमंत्री एवं मरवाही के विधायक अजीत जोगी ने ग्राम नवापारा बचरवार में भरिया युवा महासमिति द्वारा आयोजित बिरही पूजा महापर्व के कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि भरिया आदिवासी समाज में सैकड़ों हजारों वर्षों से परंपरा है कि भरिया समाज की महिलाएं बिरही पूजा के दिन अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करके दिनभर उपवास रखतीं हैं और शाम को चांद को देखने के बाद अपना उपवास तोड़तीं हैं।
श्री जोगी ने कहा कि गौरा-गौरी पूजन के बाद भरिया समाज की महिलाओं के द्वारा कर्मा नाच, सुआ नाच एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम करके पारंपरिक रूप से मनाये जाने वाले बिरही पर्व के संबंध में शहरी क्षेत्र में रहने वाले बहुत से लोग नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा कि यह पर्व करवा चौथ के जैसा ही पर्व है जिस पर्व में महिलाएं अपने पति के दीर्घायु होने के लिए दिन भर का उपवास रखती हैं और चांद को देखने के बाद अपने पति के हाथ से पानी पीकर अपना उपवास तोड़ती हैं। उन्होंने कहा कि बिरही पूजा की तरह ही हमारे आदिवासी समाज में बहुत से तीज त्यौहार होते हैं जिन्हें हम आदि काल से मनाते चले आ रहे हैं। हमारे तीज त्यौहार और हमारी परम्पराएं ही हमारी पहचान हैं जिन परम्पराओं को जीवित रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
इस दौरान श्री जोगी ने भरिया समाज की मांग पर भोला तालाब में चबूतरा निर्माण के लिए एक लाख तथा दिया गडार में मंच निर्माण के लिए डेढ़ लाख रुपए विधायक निधि से देने की घोषणा की। बिरही पूजन से पहले महिलाओं ने गौरा गौरी का बारात गांव में निकाला तथा उसके बाद विधि विधान से पूजा अर्चना कर चांद को देखने के बाद के बाहर अपना व्रत तोड़ा। कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर पंचायत पेंड्रा की अध्यक्ष अरुणा गणेश जायसवाल ने किया तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ नेता पूरन छाबरिया उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मैकू भरिया ने तथा आभार प्रदर्शन भरिया समाज के प्रदेश अध्यक्ष लालचंद सोनवानी ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से सरपंच छोटेलाल सोनवानी, जनपद सदस्य जीवन सिंह राठौर, ज्ञानेन्द्र उपाध्याय, प्रकाश सोनवानी, रामअवतार सोनवानी, गणेश भरिया, रवि सोनवानी, कौशल भरिया, मेवालाल भरिया, पवन भरिया, राजकुमार भरिया, राहुल भरिया, संतराम भरिया, दीनदयाल भरिया, अशोक भरिया, रामकुमार भरिया, कौशल भरिया, घनश्याम भरिया, ईश्वरदीन भरिया, भारत भरिया, अमरलाल भरिया, अशोक भरिया, सीताराम भरिया, झुमुकलाल भरिया इत्यादि सहित भरिया समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
कार्तिक माह में मनाया जाता है बिरही पूजा महोत्सव
भरिया समाज की महिलाओं के द्वारा मनाया जाने वाला बिरही पूजा महोत्सव कार्तिक के माह में ही मनाया जाता है। विशेषकर धान के फसल को कटने के बाद धान की बालियों को पूजा की सामग्री में रखकर इस पर्व को मनाने की परंपरा है। ज्यादातर यह पर्व कार्तिक एकादशी देवउठनी से पूर्णिमा के बीच गौरा गौरी पूजन के साथ मनाया जाता है। इसी तरह से अन्य समाज में करवा चौथ कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में की चतुर्थी को मनाने की परंपरा है। दोनों ही त्यौहार में महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और चांद को देखने के बाद अपना तोड़ती हैं।