लेखक की कलम से
माटी में सोना दिखे …
जो भी हमसे दूर है, सदा उसी की आस ।
पास पड़ा हीरा कभी,लगा भला है खास।।
वर्तमान को छोड़कर,स्वप्न भविष्य सजाय ।
बस अतीत की याद में, आज नहीं आभास ।।
पर वैभव सुख देखकर,क्यों जगती है प्यास ।
सफल हुआ कोई कभी,लोभ, मोह रख पास ।।
सतचिन्तन सत पाठ से, करते हिय प्रभु वास ।
माटी में सोना दिखे, कर पाए अहसास ।।
©श्रीमती रानी साहू, मड़ई (खम्हारिया)