रिश्तों की मिठास …
रिश्तो पर जमी खामोशियों की धूल हटाते हैं।
आओ जिदगी मिलजुल कर निभाते हैं।
कुछ गलहतफहमियों को भूलाते हैं।
बंजर बेजान रिश्तों में खुशियों के पल सजाते हैं।
आओ उलझनों को सुलझाते हैं।
प्यार का संचार नस नस में पहुंचाते हैं।
टूटे दिलों पर अहसासों के लम्हें सजाते हैं।
दुख तकलीफों को दिल की किताब से मिटाते हैं।
मीठी चाशनी सी बातो को करके मुस्कुराहटों को
अपनाते हैं।
आओ जिदगी का सफर हाथों को
थाम कर निभाते हैं।
रिश्तो के खिंचाव, को प्रेम की मिठास घोल कर
अपनाते हैं।
कुछ भूल कर, नजर अंदाज कर
घर में खुशियाँ मनाते हैं।
मन के बोझ को कामयाबी की उड़ान से
सफलता दिलाते है।
आओ जिंदगी की दलानो पर अपनों को अपनाते हैं।
गिले शिकवे भूला कर दिलों में प्यारा सा घर बनाते हैं।
मजबूरियों का नहीं प्यार का रिश्ता बनाते हैं।
प्यार की डोर के सूत्र से रिश्तों को बाँध कर
खुशियाँ मनाते हैं।
©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा