लेखक की कलम से

गाँधी तेरे देश में …

 

 

सत्य अहिंसा कहाँ खो गए,

गाँधी तेरे देश में।

कपटी, कुटील, चालाक घुम रहे,

देखो नाना वेश में।।

धूल खा रहे मूर्ति तेरी,

शहर, गांव, गली हर बाट में।

दिखावे के पुष्प चढ़ाते,

देखो जा के राजघाट में।।

सत्याग्रह का नाम लेकर,

स्वार्थ की रोटी सेंक रहे।

विदेशी ताना बाना ले,

स्वदेशी को घर से फेंक रहे।।

देशसेवा तो फैसन हो गया,

इस नुमाइश के दौर में।

पदलोलुपता हावी हो रहा,

देख सत्ता के सिरमौर में।।

बलिदान तुम्हारा व्यर्थ हो गया,

इतिहास भी मौन है।

समय चक्र के फेर को देखो,

लोग पूछ रहे गाँधी कौन है?

हे! भारत के भाग्य विधाता,

शत -शत तुम्हें नमन ।

गंगा-जमुना अश्रु धारा से,

तुम्हें अर्पित श्रद्धा सुमन।।

 

©श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)

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