लेखक की कलम से
तिरंगा ….
तीन रंगों से रंगा तिरंगा
इसे लहराते देना है
देश की रखवाली के खातिर
जान भी न्योछावर कर देना है।
शरहद पर जवानों ने
तिरंगे की बड़ी खूब रखवाली की
बहा दी लहू अपनी
पर सिर तिरंगे का न झुकने दिया।
आज़ादी का जश्न मनाए
आओ तिरंगे को फिर लहराए
राष्ट्रगान गाकर हम
देशभक्ति को जान -जन में अंकुरित कर जाएं।
भारतवासियों की जान तिरंगा है
हर एक की शान तिरंगा है
लिपट जाए जो तन इसमें
न रहे और कोई ख्वाइश जीवन में।
सत्य, शांति और भाईचारे का
यह प्रतीक है जानो
बच्चे, बूढ़े या हो जवान
करते सभी इसका सम्मान।
शरहद पर हो या हो खेल का मैदान
तिरंगा ही तो होता है हमारे देश की पहचान
यह तो है सौभाग्य हमारा
कि हैं हम भारत की संतान।।
©डॉ. जानकी झा, कटक, ओडिशा