बंजर जमी का समंदर …
दिल के समंदर मे शांत चित ह्दय मे तेरी याद की लहर
आकर मेरे दामन को तेरी स्मृतियों की लहरों से हिचकोले देकर गई।
तेरी हिचकी मुझे तेरे होने का अहसास करा गई।
मेरे लबों की खामोशी , मेरी आँखों की नमी तेरे होने का
बोलती है।
चुप रह कर भी, गुनगुना कर देखा।
मैने अक्सर भीड़ मे अपने आप को हर बार गुमशुदा देखा
तेरी यादे मेरे चैन को छीन कर तेरी ओर निकल जाती है।
तेरे कदमों की धुंधली यादो पर अक्सर अश्रु बहाती है।
तू है या नहीं यह कशमकश मेरे अंदर तुझे तलाशने का
जज्बा जगाते है।
हँसते हुए आँखे नम और रोते हुए तेरी कसमे मुझे
ना जाने क्यो तड़पाती है।
तू न हाथ की लकीरों मे है न ही किस्मत मे
एक हवा के रंगीन झोंके की तरह मुझे छूकर नस नस मे जुनून भर कर
ताउरम्र की बेचैनी देकर , दिल के गहरे समंदर मे डूब गया।
यादो की चादर,अहसासों का तकिया ले कर तेरी कभी न
खत्म होने वाली बातो के लिए पलकें बिछाये नींद के
इंतजार मे बैठे नैनो मे सावन की झड़ी बहाते है।
दिल कहता है ।आओगे ,यकीन टूटने लगा।
मेरा दिल काँच की तरह टूटने लगा।
हम दिल से चोट खाये है।
जख्मो की नालिश कहाँ करवाये।
इस लिए तुझे ले कर हम तेरी यादो की स्मृतियों मे
हमेशा के लिए डूब जाते सै।
©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा