लेखक की कलम से
तुझे कभी प्यार ना था..
सोचते थे तुझे बख़ूबी जानते हैं हम
तुझसे ज़्यादा तेरी ख़ूबी पहचानते हैं हम
सोचते थे कि तुझे मोहब्बत ज़रूर है
हम ग़लत थे, ना समझे की तू मगरूर है
तो क्या तेरा दिल कभी बेक़रार ना था
सच बता क्या तुझे कभी प्यार ना था
या फिर इश्क़ से भी संभल गया तू
वक़्त से पहले अचानक बदल गया तू
पर दिल ये मेरा अब भी जानता नहीं
तू बेवफ़ा हो गया अब भी मानता नहीं
इक दिन तेरा दिल बेक़रार होगा जो अब नहीं
इक दिन तुझे फिर प्यार होगा जो अब नहीं
©अंशु पाल, नई दिल्ली