लेखक की कलम से
अमृता तुम्हारा नाम
कविता
तुम घृणा के
व्यापारियों के लिए
कड़वी थी
जिस पेड़ से लिपट जाती
वह भी धन्य हो जाता
औषधि बन जाता ।
अमृत बन तुमने
दुनिया के विषाक्त तत्वों को
धो डाला
बना दिया प्रेममयी ।
मुझे आज ही पता चला
कि गिलोय का दूसरा नाम
अमृता है।
– विश्वासी एक्का
सहायक प्राध्यापक
बटईकेला सरगुजा(छ.ग.)