नयी आशाएँ …
रचना “नेत्रदान”
मेरा दिल आशाओं का समन्दर है,
दिल की गहराइयों में बातें करती हूँ मैं
मनमोहक धरा में;
जब बारिश की बूँदें लुप्त हो जाती हैं,
वो मिट्टी में मिली बूँदों की सौंधी-सौंधी सुगन्ध मन मस्तिष्क को भीतर तक भीगा जाती है, उस सुगंधित बयार में बहती जाती हूँ मैं,
नदियों से;
निकली कल-कल, छल-छल की ध्वनि, मुझे प्रेम के गीत सुनाती है राग में बँधी सरगम स्पंदन कर गुनगुनाती जाती हूँ मैं
मधुवन में;
जब पुष्पों पर भँवरे गुंजन कर मँडराते हैं, तब अंतर्मन से मधु रसपान कर,
आकाश में उड़ने लगती हूँ मैं
मेरा दिल आशाओं का समन्दर है,
लहरों से बातें करती हूँ मैं
पथ पर; जब अग्रसर होती हूँ तब कोई देवदूत मिल जाता है मुझको,
वो मार्गदर्शन कर मेरा राह दिखला जाता है मुझको,
इतना ही नहीं करम उस सर्वशक्ति का जीते जी दिव्य ज्योति नेत्रदान करने का फ़ैसला मुझसे कर जाता है वो, मुझ नेत्रहीन आशाओं के नेत्र मिल गए हों मात्र अहसास से धन्य हो जाती हूँ मैं
सपनों में रोशनी के पंख लगाकर आसमान में उड़ने लगती हूँ मैं
मेरा दिल आशाओं का समन्दर है
लहरों से बातें करती हूँ मैं
हूँ जीवित मैं तो बहुमूल्य हैं नेत्र,
मैं नहीं तो किस काम के नेत्र…!नेत्रदान आशाओं का दान ख़ुशियों का दान,
©अनिता चंद, नई दिल्ली
परिचय- मेरी अभिव्यक्ति, कुछ दिल ने कहा व उन्मुक्त कविता संग्रह प्रकाशित, चित्रकारी के साथ संगीत में विसारद, दूरदर्शन में स्क्रीप्ट लेखन का कार्य जिसमें लघु फिल्म बनी है अष्टांग योग के नाम से स्वास्थ्य संगठन का संचालन, देश विदेश के पत्र पत्रिकाओं में नियमित कविताएं व लेख का प्रकाशन.