लेखक की कलम से

सत्य की विजय हो ….

असत्य का नाश हो सत्य की हो विजय
कुरुवंश का विनाश हो पाण्डवों की हो जय।
गाण्डीब उठा लो अर्जुन अब चुप मत रैहना
तभी बन्द होगी भारतमाता की यह रक्त गंगा बहना।

कुचल दो उस फन को जिसमें जहर है भरा हुआ
तोड़ दो उन दीवारों को जिसमे आतंकवाद है पला हुआ।
तोड़ दो उन सपनों को जो देशद्रोही देखते है
सजा दो उन दरिंदों को जो भारत की बर्बादी चाहते है।

मगर ध्यान रखो मेरे भाइयों कोई बेकसूर ना सजा पाए
कोई भला मानुष बेमौत ना मारा जाए।

 

 

©मनीषा कर बागची                           

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