लेखक की कलम से

राम !

राम !

आपकी गाथा,

आपकी पताका,

आपका शौर्य,

आपका मान,

हमारा अभिमान

आपका सम्मान

हमारा मान

आपकी मर्यादा

हमारा अभिमान

भारत की शान

 

राम

आपकी गाथा किताबों से परे

हमारे  संस्कार-संस्कृति से बंधे है।

 

राम

आप हमारे भावों से

आत्मा से

कैसे विलुप्त हो गए?

क्या आपका विलुप्त होना

भारतीयता  का

संस्कार का

संस्कृति का

मर्यादा का

नष्ट होना नहीं ?

 

राम आप तो चक्रवर्ती  सम्राट थे।

आपने दशानन को विजित किया

वहीं दशानन जो संसार का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति था

पर अहंकारी था

लोग कहते है कि

आपने दशानन का  वध किया

पर मुझे लगता है आपने

उसके अहंकार का

शमन किया!

 

इस कलियुग में आपके एक और अवतार की

आवश्यकता है प्रभु!

क्योंकि आपके पुत्र अपनी मूल प्रकृति को भूल चुके है!

©डॉ साकेत सहाय, नई दिल्ली

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान, पालन, स्वीकार करना हम सभी का कर्तव्य है। सभी #भारतवंशियों के नायक को इतना लंबा #वनवास झेलना पड़ा। यह दुःखद था। फिर भी न्याय मिला इस हेतु सभी पक्षकारों को बधाई! #राम को समझना इतना आसान नहीं।

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