लेखक की कलम से

प्रेम का मोल …

 

त्याग और प्रेम यह है मानवता के दो हथियार

मानव जीवन सफल बनाता त्याग और प्रेम का हथियार ll

 

त्याग उदाहरण बहुत आया है राम ने त्यागा अपना राजपाट

पिता आज्ञा पालन कर त्याग दिया अपना सिंहासन आप ll

 

त्याग दिखाया गंगा पुत्र ने माना अपना धर्म प्रधान

जन्मभूमि की रक्षा करते खाए अपने तन पर बाणा ll

 

त्याग की परिभाषा निराली दधीचि करें अपने तन को दान

राष्ट्र रक्षा को ही समझा अपने तन से भी महान ll

 

प्रेम दिखाया भरत लाल ने भाई संग धरा सन्यासी वेश

तीन लोक में अपना यश फैला कर धर्म परायण का धरा वेश ll

 

त्याग दिखाया उस उर्मिला ने बिना बोले कुछ शब्द भी

पति याद में तपस्विनी बनकर जिया 14 बरस के दिन भी ll

 

ढाई अक्षर प्रेम का नाम अधूरा लगता है

पर इसकी महानता देखो पालन करने पर बढ़ता हैll

 

मीरा का वह प्रेम किशन पर टूट कर चाहा था

अंत में उस मुरली धर ने अपना दर्शन करवाया था ll

 

प्रेम दिखाया उस नौका वाले ने चरण पखारे प्रभु के आप

चरणामृत पान कर उसने किया फिर भवसागर पार ll

 

त्याग प्रेम का मोल नहीं है यह कोई व्यापार नहीं

प्रेम पथ पर त्याग ईससे बड़ा हथियार नहीं ll

 

प्रेम उसे ही कहते हैं जिसमें कोई स्वार्थ ना हो

त्याग परिभाषा सफल होता जब सच्चा प्रेम साथ हो ll

प्रेम और त्याग दो ऐसे बिंदु जिसका कभी ना होना मिलन

त्याग बिना प्रेम अधूरा जिसका कभी ना होना मिलन ll

 

राधा ने मोहन को चाहा जिसमें कोई स्वार्थ नहीं

चाहत राधा की अधूरी रही इसमें प्रेम कसूरवार नहीं ll

 

जब जब धरा पर होगी प्रेम की बातें त्याग रहेगा साथ-साथ

और मानव की अधूरी चाहत त्याग भरेगा साथ-साथ ll

 

यादों के वह दीप लिए जब भी करते उसको याद

मानव मन के अंतर्मन में याद रहेगा वह फिर प्यार ll

 

©कमलेश झा, फरीदाबाद                                                              

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