प्रेम विवाह …
ये प्यार जितना प्यारा होता है
उससे लाख गुना ज्यादा खारा भी होता है
कुछ घरों में प्रेम विवाह अभी तक हुआ ही नहीं
कुछ बाहर इसलिए नही भेजते
कहीं चक्कर में न पड़ जाए
तो कुछ घरों में सिर्फ लड़के कर सकते है
हम छोरी ला तो सकते है
पर देन रो चालू नहीं है
कुछ घर अपनी जात में हुआ प्रेम चोखा मानते है
तो कुछ परजात में ऊंच-नीच खोज लेते है
कुछ आने वाली बहु क्या गुल खिलाई होगी शादी से पहले
मौका मिलने पर टौचने से नहीं चूकते
और वही अपनी लड़की के प्यार की कहानी
बड़े फक्र से गढते है
कुछ प्रेम जाति- पैकेज- शक्ल देख कर होते है
हायर पैकेज दिखते ही प्रेम बदल जाता है
कुछ लड़कियाँ भी, कुछ मिलेगा नहीं के डर से
प्रेम विवाह को गोली मारती है
तो कुछ ‘मेरी लाश पर से गुजर कर करना ”
सुनकर ही अरमानों का गला घोंट देती है
कुछ जोड़े मरते दम तक
और किसी को भनक तक नहीं लगते देते प्यार की
कुछ साथ जीने मरने की कसमें खाए
सच में कूद जाते है किसी नदी में
कुछ भाई आड़े आते है प्यार के
कुछ बहनों को भाई की पसन्द कभी रास ही नहीं आती
हम सब विज्ञान-भगवान दोनों को बराबर मानते है
एक बार बिदेश भी सबको जाना है
रामायण-महाभारत पूरा देश चाव से देखता है
सिनेमा एक नहीं छोड़ता है
सब पढते है किताबें
ज्ञान की कहीं कमी नहीं है
टैलेंट भरा पड़ा है इस देश में
पर आज भी साधारण सा दिखने वाला प्रेम विवाह बहुत कठिन है.
©डिम्पल माहेश्वरी, जालोर, राजस्थान