सागर …
सागर की लहरों पर
सरिता का गान
सागर है देह अगर
सरिता है प्राण ।
सरिता केअंतस से
उठता तूफान
सागर से मिलने का
मन मे अरमान
साहिल तक लहरों के
आने का कारण है,
सरिता की कल-कल मे
मोहक मुस्कान।।
अभिनव है रूप तेरा
सागर महान।
सागर ! तू बड़ा ही बलवान।।
मुक्ता है घोंघे हैं,
फेन, शंख सीपी है,
सागर के अंतस मे
किसने ये रोपी है
सागर के नायक का
किसने श्रृंगार किया
कृष्ण बने सागर की
सरिता ही गोपी है
लुप्त हुई सरिता की
अपनी पहचान,
प्राणों ने प्राण छुए
हुए एक जान
सागर!तू बड़ा ही बलवान।।
सागर आकर्षण है
कौन नहीं जानता
प्रेम करनेवाला
हर युगल पहचानता
लहरों की कल-कल मे
जोड़ों की हलचल है
प्रेम-प्यार यौवन के
जीने का संबल है
नीले अंबर के तले
रास रचवाता।
सागर !तू बड़ा है महान
सागर! तू बड़ा बलवान
दुनिया है करती गुणगान
सागर तुम्हें है प्रणाम।।
©आशा जोशी, लातूर, महाराष्ट्र
परिचय :- एमए, इग्नु से स्वर्ण पदक, भुवनेश्वर से पीएचडी, राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित, पिछले 25 वर्षों से शिक्षा विभाग में कार्यरत, वर्तमान में महाराष्ट्र की एक उत्तम सीनियर सेकेंडरी विद्यालय लातूर में उप-प्राचार्य.