लेखक की कलम से

बसंती…..

 

तू ….बसंती

आज भी उनके,

प्यार की कहानी बोलती है।

 

आजादी के दीवानों की,

हवाओं में दीवानगी घोलती है।

 

तू …….बसंती

आज भी उनके,

प्यार की कहानी बोलती है।

 

जब रंग तेरे में,

खुद को रंग के,

हर एक बोला था।

रंग के बसंती चोला

हर दीवाना,

देश के लिए यह बोला था।

 

धरती को बसंती कर,

देश की मिट्टी -मिट्टी बोली थी।

 

उनके प्यार की कहानी,

बसंती

स्वतंत्रता संग्राम में खोली थी।

 

तू ….बसंती,

आज भी उनके,

प्यार की कहानी बोलती है।

 

आजादी से दिवानों की,

हवाओं में दीवानगी घोलती है।

 

अपने देश पर मिटने की,

भारत रीत निभाता है।

 

आज भी देश का,

बच्चा-बच्चा

अपने देश के रंग में गाता है।

 

तू बसंती …..आज भी,

उनके प्यार की कहानी बोलती है।

 

आजादी के,

दीवानों की हवाओं में,

दीवानगी घोलती है।

 

वीर जवानों का,

सरहद पे पहरा बोलता है।

देश की खातिर रंग बसंती,

आज भी देश में बोलता है

©प्रीति शर्मा “असीम”, सोलन हिमाचल प्रदेश

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