लेखक की कलम से

अनमोल दोस्त …

मेरे लेख के माध्यम से समाज के सामने रिश्ते की अटूट सच्चाई से अवगत करवाना चाहती हूँ।

बात उन दिनों की है । जब मेरी दोस्ती ऐसे शख्स से हुई ।जिन्होंने मेरी उदासीनता भरी सोच मे उत्साह का संचार किया।

रिश्तों को समझने की पारखी समझ तथा हर तरह से खुश रहने का मूल मंत्र मुझे बताया।

जिन रिश्तो को हम परछाई की भांति पकडने का पीछा करते है। वो हमारे लिए काल्पनिक भम्र की भांति होते है।

दुख इस बात का है कि हम सब एक स्वस्थ्य समाज का हिस्सा है।

परन्तु हमारी समाज द्वारा निर्मित सोच जो परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन शील होने लगती है।

हर बार एक अंकुश उस दोस्ती पर लगा कर समाज हर रिश्तो को नाम देने के लिए मजबूर करता है।

एक लडका, किसी लडकी की बिना शारीरिक स्वार्थ के

भी दोस्ती की भावनाओं को निभा सकता है।

यह सत्य कथन मे अपने लेख से सिद्ध करना चाहती हूँ।

मानसिक तनाव पर अपने सहज सुझाव से तनाव मुक्त करके सुख की अनुभूति का आनंद देकर मुश्किले को कोसों दूर भगा देता।

फोन की घंटी से मुश्किले का हल ढूढ चंद शब्दों मे उतर देकर । चहरे की मुस्कुराहट को लौटाना।

हर पल फ्रिक करना लेकिन कभी नही जताता।

बस इतना बोल कर अपने शब्दों को रोक लेता। चिंता मत करो धैर्य से काम लो सबका भला करो।

अच्छा करो , तारीफों के लिए भिखारी नही परोपकारी बनो।

वो कहता अच्छा करो,आशावादी बनो , सकारात्मक सोच से बुरा सोचने वालो के दिल को जीतने का प्रयास करो।

उसकी बातो मे,आंखो मे ,दिल मे भोले पन की सादगी।

सदैव सबके हित की बात उनके अधरों को सुशोभित करती।

कंठ मे साक्षात् माँ शारदे का आशीर्वाद , इतना मधुर रूहानियत गाते कि सुनने वाले उनकी मखमली आवाज़ के दीवाने बन जाते। किस्मत वालों के ही ऐसे दोस्त हुआ करते है।

मै अपने आप को सौभाग्य शाली मानती हूँ।

आप जैसा सादगी से रिश्ते निभाने वाले शख्स जिनकी भी जिंदगी मे हो ।नकारात्मकता उनके दिलो दिमाग में प्रवेश कभी ना कर पाऐगी।

 

 

©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा

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