लेखक की कलम से

नया गीत लिख दूँ….

चित्र चिंतन

तू कहे तो तेरे लिए मैं,

नया गीत लिख दूँ।

अगर हो तेरा इशारा,

तुझे मनमीत लिख दूँ।।

तुझे खोजा था मैंने,

कभी ख्वाबों में।

तुझे चाहा था मैंने,

कभी ख्वाबों में।

गर तेरी हाँ मिले,

संगीत लिख दूँ।।

??मैंने भी तो ,

तुझे कभी तलाशा था।

किसी मोड़ पर यूँ ,

मिलने की आशा तो था।

तुम मिले यूँ मुझे,

मेरी गीत बन गई।

तेरी चाहत ही तो,

मेरी मीत बन गई।

यूँ पुकारा तूने ,

मेरा नाम लेकर।

मैं खुद ही खुद,

संगीत बन गई।।

??हम मिलेंगे इस तरह,

कभी सोचा न था।

बात दिल की कहने का,

कोई मौका ही न था।

तेरी मेरी चाहत,

अब से प्रीत बन गये।

हम मिले इस कदर,

खुद ही गीत बन गये।।

हम चलें साथ-साथ ,

ओ मेरे हमसफर ।

तो जिनगी अपनी भी,

संगीत बन गये।।

©श्रवण कुमार साहू, “प्रखर”, राजिम, गरियाबंद (छग)

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