श्रीराम …
कौशल्या सुत दशरथ नंदन !
अभिनंदन प्रभु अभिनंदन !
आर्यवर्त को महका दो प्रभु !
नीति धरम का कर चंदन !
अभिनंदन प्रभु अभिनंदन !
कौशल्या सुत अभिनंदन !
अभिनंदन प्रभु अभिनंदन !
दशरथ नंदन अभिनंदन !
द्वितीय भाद्रपद कृष्ण पक्ष में
नूतन भवन की शुभ बेला ।
प्रमुदित मन है सब भक्तों का
श्री राम के दर्शन का मेला ।
फलित हुई वर्षों की प्रतीक्षा
टूट गए सारे बंधन ।
धरती से अंबर तक होगा
रघुनंदन बस रघुनंदन ।
अभिनंदन प्रभु अभिनंदन !
कौशल्या सुत अभिनंदन !
अभिनंदन प्रभु अभिनंदन !
दशरथ नंदन अभिनंदन !
आज अयोध्या धन्य हुई है
धन्य हुए सब वन उपवन ।
पावन सरयू धन्य हुई है
धन्य हुए सुर नर मुनि जन ।
क्लेश ब्यथा से पीड़ित है जग
चारों ओर करुण क्रंदन ।
कष्ट सभी का दूर करो प्रभु
हर्षित कर दो सब का मन ।
अभिनंदन प्रभु अभिनंदन !
कौशल्या सुत अभिनंदन !
अभिनंदन प्रभु अभिनंदन !
दशरथ नंदन अभिनंदन !
©केएम त्रिपाठी, प्राचार्य, मुजफ्फरपुर, बिहार