लेखक की कलम से
दीपावली ….
दीपक जगमग करे जब , होता कार्तिक मास ।
पाँती सजते दीप तब , करते मीठा हास ।।
वापस आये राम जी , आज अयोध्या धाम।
गाओ मंगलाचार।। सखि ,छोड खास सबकाम
जलते दीपक कहे यह , होती सत्य की जीत।
बाधा आती राह में , मिलता प्यारा मीत ।।
वापस आये राम जब , रावन का कर नाश ।
सारे वासी नगर के , बाँधे नेह के पाश ।।
थाल सजा कर खडे़ है , आयेगे कब राम ।
आँखे सबकी थकी है , करते कैसे काम ।।
जान भरत इस बात को , आतुर होये खूब ।
भारी लगते यही पल , होने लगती ऊब ।।
वाचे जिसकी जिव्हा नित ,श्री राम का नाम ।
बिना त्रास प्रभु बसे , मानस तेरे धाम ।।
©डॉ मधु त्रिवेदी, आगरा, उत्तरप्रदेश