लेखक की कलम से

साइबर अपराध का भी कोरो ना की तरह तेज़ी से बढ़ा ग्राफ …

आज की दुनिया में साइबर अपराध को भी कोरो ना महामारी की तरह विश्वव्यापी संकट के रूप में देखा जा रहा है। इंटरनेट और कम्प्यूटर के जरिए किए जाने वाले अपराध को साइबर अपराध कहा जाता है। भारत इंटरनेट इस्तेमाल करने वाला तीसरा बड़ा देश है। इस हिसाब से साइबर अपराधों में भी बढ़ोतरी हो रही है। आज साइबर अपराध विश्व की सबसे ज्वलंत और चर्चित समस्या बन चुका है। इस समस्या से निपटना अकेले भारत के बस की बात नहीं है। दुनिया भर में इस पर लगाम लगाने के लिए उपाय किए जा रहे हैं बावजूद स्थिति बिगड़ती ही जा रही है।

वैश्वीकरण और सूचना प्रद्योगिकी क्रांति के मौजूदा युग में साइबर अपराध विश्व के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, वैधानिक, प्रशासनिक, राजनैतिक और नैतिक चुनौती बन कर सामने आया है। साइबर अपराध का दायरा व्यापक है, क्योंकि ये विश्व स्तर पर घटित होते हैं और कहीं से भी किसी भी समय इस अपराध को अंजाम दिया जा सकता है। ज्यादातर अपराधी बच निकलते हैं। कयोंकि ये अपराध अदृश्य होते हैं और इसके लिए किसी व्यक्ति का होना जरूरी नहीं होता। इसलिए उसके दोषी को पकड़ना बहुत मुश्किल होता है।

यह अत्यंत चिंता की बात है कि कोरोना के साथ एक बार फिर से साइबर अपराध का ग्राफ भी तेजी से बढ़ने लगा है। इसके लिए नए नए तरीके भी इजाद होने लगे हैं। यह अपराध इस कदर देश में बढ़ा है कि जहां हर मिनट पर एक व्यक्ति शिकार हो रहा है वहीं दिल्ली में तो हर दो घंटे में ही एक साइबर अपराध को अंजाम दे दिया जाता है। देश के अनेक राज्यों में भी साइबर अपराध की घटनाएं घट रही हैं। इस अपराध के कई रूप हैं और हर बदले हुए रूप में किसी न किसी को शिकार बनाया जाता है। शिकार व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होती है और वे चंद मिनटों में कंगाल भी हो जाते हैं। किसी किसी की हालत आत्महत्या तक करने की भी हो जाती है।

सायबर अपराध विशेषज्ञों की मानें तो ऑनलाइन हरासमेंट की चपेट में सबसे ज्यादा महिलाएं आती हैं और खासकर वे महिलाएं होती हैं, जो सतही जानकारियों के साथ इस मायावी दुनिया में जी रही होती हैं। ऐसी महिलाएं खुद को इस दुनिया का हिस्सा बना लेती हैं लेकिन अपनी सुरक्षा के हिस्से का उपयोग करना सीख नहीं पातीं। मुश्किल में घिरी महिलाएं गुपचुप शिकायतें भी करती हैं लेकिन कानून की शरण में नहीं जाती हैं। जानकारों का कहना है कि महिलाएं सतर्क रहे और थोड़ी हिम्मती बनें तो वे मुश्किलों से मुक्त हो सकती है। उनको अवांछित गतिविधियों से ना डरना चाहिए और ना ही नजरअंदाज करना चाहिए। बल्कि निर्भीक होकर प्रतिरोध करना चाहिए और कानूनी मदद लेना चाहिए।

साइबर अपराध के तहत वायरस के जरिए व्यवस्था को बाधित करना, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, आपत्तिजनक प्रसारण, ईमेल पर धमकी देना, कम्प्यूटर से संबंधित संपत्ति का नुक़सान करना, किसी कंपनी या व्यक्ति का डाटा बेस चुरा लेना, साइट्स हैक करना, नेट के जरिए ठगी करना, ब्लैकमेलिंग करना, पैसों की मांग करना और सबसे ख़तरनाक आतंकी गतिविधियों का संचालन करना आदि शामिल है।

इंटरनेट के आने से दुनिया एक हो गई है, दूरियां कम हुई हैं। जिंदगी आसान हुई है लेकिन दूसरी ओर इसके जरिए बड़े बड़े अपराधों को अंजाम देने के साथ नेट पर अश्लील साइट्स की सुलभता के कारण कई तरह की गंभीर समस्याएं भी पैदा हो गई हैं। अश्लील साइट्स की पहुंच घर परिवार तक हो गई है। युवा पीढ़ी अश्लीलता और सेक्स की गिरफ्त आ गई है। नेट के जरिए सांस्कृतिक और वैचारिक प्रदूषण भी फ़ैल रहा है। दुनिया भर की सरकारें अपने अपने स्तर से इस पर नियंत्रण के लिए बहुविध उपायों पर विचार कर रही हैं, उन्हें लागू भी कर रही हैं लेकिन इसके बावजूद इसकी बढ़ोतरी सभी के लिए चिंताजनक हैं। इसके लिए अब एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय कानून बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है।

दिल्ली साइबर सेल के डीसीपी अन्येश राय के मुताबिक ज्यादातर नेटवर्क एक्सस जैसे गूगल, इंस्टाग्राम, ट्विटर सहित अनेक सोशल प्लेटफॉर्म विदेशी सर्वर के माध्यम से ही भारत में चलते हैं। नतीजतन इन पर रोक आसानी से नहीं लग सकती है, लेकिन सजग होना ही साइबर अपराध को रोकने का एकमात्र उपाय है। साइबर अपराधों को रोकने के लिए भारत सरकार ने बड़ी पहल की है। गृह मंत्रालय के अधीन अब नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल बनाया गया है, जिसके तहत देश में कहीं भी साइबर अपराध से जुड़ा हुआ अपराध घटित होता हो तो व्यक्ति यहां पर अपनी शिकायत दे सकता है। यहां राज्यों की मदद से करवाई शुरू की जाती है। इसके बावजूद अपराधियों पर नकेल कसने में दिक्कत आती है। लोगों को भी इसके बारे में जानकारी नहीं होती। यह भी उल्लेखनीय है कि सोशल साइट्स पर इस अपराध को अंजाम देने में अनपढ़ और गंवार लोग नहीं होते। इसमें पढ़ा लिखा तबका ही आगे है, जो सुनियोजित तरीके से इस अपराध को अंजाम देता है ताकि किसी भी तरह पकड़ में नहीं आ सकें। हाई प्रोफाइल लोग साइबर अपराध में ज्यादा लिप्त देखे जा रहे हैं, जिससे स्थिति भयावह हो गई है।

यह भी एक कड़वी हकीकत है कि साइबर अपराध अकेले भारत की समस्या नहीं है। यह विश्वव्यापी समस्या है। इंटरनेट पर पहचान छिपाने की सहूलियत के कारण इस अपराध को अंजाम देना आसान होता है। इस सहूलियत का दुरुपयोग दिनोदिन बढ़ता चला जा रहा है। माउस की एक क्लिक से एक सेकेंड में बड़े से बड़े साइबर अपराध को अंजाम दे दिया जाता है। साइबर अपराधों पर नियंत्रण और निगरानी मुश्किल है। यह नए किस्म का अपराध है। अभी उसकी ठीक से कानूनी घेराबंदी भी नहीं हो पाई है। इसलिए इस अपराध के लिए किसी को भी सीधे दोषी करार नहीं दे पाते। किसी भी देश से कोई भी किसी भी समय साइबर अपराध को अंजाम दे सकता है।

©हेमलता म्हस्के, पुणे, महाराष्ट्र                 

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