लेखक की कलम से
प्रेम की पाती…
प्रिय के मिलन की बेला हो दिवस सभी विशेष
जिस पल तेरी आहट हो मेरे मन मे खुशीकरे प्रवेश चारो ओर ऐसा लगे वसंतोत्सव विशेष।
संगम विचारो का,दिल की तरंगो का ,मिलन प्यार से प्यार का हो ।
निस्वार्थ प्रेम की उन्मुक्त उड़ान भर तेरे हाथो को थाम
मन के तारो की चमक का तेज ,मुखमंडल के शांति पुंज की आभा को चार चाँद लगादो।
मेरे दिल की दलानो पर प्यार के फूल खिला दो।
हम तुम मे, तुम हम मे कुछ ऐसे खो जाए ।
प्रेम प्रतीक अमर मिलन की गाथा ••••
हर प्रेमी के लिए मिसाल बन जाए।
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सुख मे आंकाक्षा की सारी खुशियाँ समा जाए।
सुख ही सुख जीवन मे हो ।
सुख मे सुखमयी हो जाए।
©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा