लेखक की कलम से

आगमन इक्कीस का …

आगमन इक्कीस का

स्वीकार करते हैं

वर्ष के हर्ष को

अंगीकार करते हैं

युवा है साल

साल का लाल

आओ मिलकर

हम सब इससे

प्यार करते हैं

 

बला टल जाए

बीते साल की

माथे पर अपने

हंसकर मल जाएं

खुशी गुलाल की

भूलकर बात

अब तक की

नये जज़्बात का

श्रृंगार करते हैं

आगमन इक्कीस का

स्वीकार करते हैं!

 

 

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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