लेखक की कलम से

#kiss #day स्मृतियों से …

 (संस्मरण)

 

कहते हैं अपनों का स्पर्श या प्रितिचिन्ह अगर वह माथे पर किया गया हो तो वह सर्वश्रेष्ठ हैं तो उसी पर अपने #हमख़याल संग कुछ

#हमसफ़र याद हैं न मुझें जब मैं जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही थी। हर सुबह हर शाम को #2seconds के लिए तुम्हारा मिलने आना ड्रीप्स लगे #सूजन भरे हाथों को सहलाना। मेरे रोने पर, मेरे माथे पर #प्रितिचिन्ह अंकित कर यह कहना तुम ठीक हो जाओगी। औऱ उसी वक्त तुम्हारे पलकों से गिरे #मोती की ठंडक आज भी महफ़ूज़ है मेरे पास।

वह बच्चों का आकर मिलना एक डर था। माँ ठीक हो जाओगी हिम्मत मत हारना। औऱ माथे पर स्नेह की पप्पी कहाँ भूल पाऊँगी मैं…!!

जो सब सहमे थे उधर औऱ मैं अजीब से डर से उलझी थी। खोने का डर दोनों तरफ था। बस माध्यम बना था चुम्बन एक हिम्मत का।

पता #हमख़याल तुम साथ होकर साथ नहीं थे। तुम्हे मेरे खोने का जरा भी मलाल नहीं था। बस यही थी तुम्हारी ग़लती, बड़ी गलती जिसने पैदा कर दी एक खाई..!

मौत से ज़रूरी बहुत कुछ था…!

पर सुनो न हमख़याल #I #C #U में नितांत अकेली मैं तुम संग सुबह अपनों की एक झलक पाने को आतुर। सोने की हिम्मत नहीं थी डर था नहीं उठी तो..!!

उन चुम्बन की गर्माहट के साथ जो बाहर बैठ रात दिन उस दो सेकण्ड्स का इंतज़ार करते थे.. जिनको मेरी मौत से डर लगता था उन्हें मेरी जिंदगी की ज़रूरत थी उनकी जिंदगी के लिए..!!

वह आँखों की नमी ओर दर्द के साथ हिम्मत देते #प्रितिचिन्ह दुनियाँ के सबसे दिलकश kiss days थे।। मैं किसी भी विशेष दिन की मोहताज नहीं थी…!!

न हूँ न रहूँगी…!

सच कुछ #candid #clicks

रूह के कैमरे में कैद हो जाती है ताउम्र…!!

हमख़याल उस विषम परिस्थितियों में भी मैंने तुम्हें सोचना नहीं छोड़ा था। शायद यही इश्क है। मेरे बच्चों सा मेरे जीवनसाथी सा..!!

 

सुनो हमख़याल लिखना कभी तुम उन बच्चों के माँ की वेदना को जो पल पल ईश्वर के सामने हाथ जोड़ते थे अपनी मासूम प्रार्थनाओं से..!!

 

लिखना कभी एक जीवनसाथी की पीड़ा जो बच्चों को थामे ईश्वर को एक टक निहारता रहता था अपने संसार को सकुशल देखने के लिए.!!

हो सके तो लिखना एक लोरी उस माँ के नाम जो चिंतित थी वह नहीं होगी तो क्या होगा उसके नोनिहालों का…!!

 

उकेरना एक नज़्म उस प्रेयसी पर जो सदियों के वादे को तोड़ जा रही थी अपने प्रियतम को बगैर बताए देने एक विरह वेदना..!!

लिखना कभी #पर औऱ# #ख़ैर के बीच उलझी उन साँसों को

को जो झेल रही है आज भी एक इन्तज़ार..!!

 

औऱ अंत मे ढूँढ लेना तुम्हारे शब्दों की डिक्शनरी में #हमख़याल के सही मायनों से परिपूर्ण अर्थ..!!

 

हांजी आज भी वे आँखें औऱ उम्मीद के #प्रितिचिन्ह अंकित है मेरे मानस पटल पर जो जिंदा रखे हुए हैं मुझे एक हिम्मत के साथ ..!!

 

इससे बेहतर kiss day की ज़रुरत क्योंकर हो मुझे अब तुम ही बोलो#अ #हमख़याल मेरे…!

 

Happyy kiss day??? मेरी भाषा मे कोई भी एक अनमोल प्रितिचिन्ह जिसने आपकी जिंदगी बदल दी हो उत्साह भर दिया हो #प्रितिचिन्ह से उस लम्हे का प्रितिचिन्ह दिन आप सभी को मुबारक़ …

 

©सुरेखा अग्रवाल, लखनऊ

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