लेखक की कलम से

डॉ. रीता सिंह का काव्य संग्रह ‘वीरों का वंदन’ का विमोचन किया सूर्य प्रकाश पाल ने

पुलवामा में शहीद हुए जवानों के प्रथम बलिदान दिवस पर कार्यक्रम

पुलवामा में शहीद हुए जवानों के प्रथम बलिदान दिवस पर उनको समर्पित कवियित्री डॉ रीता सिंह द्वारा रचित काव्य संग्रह “वीरों का वंदन” का विमोचन दर्जा राज्यमंत्री सूर्य प्रकाश पाल, जिलाधिकारी संभल अविनाश कृष्ण सिंह, नवगीतकार डॉ महेश्वर तिवारी, डॉ महेश दिवाकर, कवि माधव मिश्रा, डॉ सौरभ कांत शर्मा आदि ने किया। तदुपरांत अमर वीरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करके श्रध्दांजलि दी ।कवयित्री डॉ. रीता सिंह का परिचय विस्तार पूर्वक कार्यक्रम संयोजक डॉ. टीएस पाल ने कराया।

मुख्य अतिथि राज्य निर्माण सहकारी संघ के सभापति सूर्य प्रकाश पाल ने बताया एक वर्ष पूर्व आज ही के दिन पुलवामा में सीआरपीएफ पर आतंकी हमला किया गया था। हमले में 40 जवान शहीद हुए, इसका बदला भारत सरकार ने 13 वें दिन दुश्मनों के घर में घुसकर तीन सौ से ज्यादा आतंकी एयर स्ट्राइक से मार गिराए और यह साबित कर दिया कि देश के सम्मान के साथ कोई समझौता हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। यही हमारे हिंदुस्तान की पहचान है।

विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने कहा कि देश के अमर “वीरों का वंदन” काव्य संग्रह से डॉ. रीता सिंह द्वारा श्रद्धांजलि सराहनीय कदम है। पुस्तक पढ़ने वाला प्रत्येक पाठक अपने देश एवं सेना पर गर्व महसूस करेगा। नवरचित पुस्तक की समीक्षा डॉ. शिखा बंसबाल, अवध किशोर शर्मा, राजीव प्रखर, श्रीकृष्ण शुक्ल साहित्यकारों ने की।

वीरों के वंदन की रचयिता डॉ. रीता सिंह ने पढ़ा….

“वीरों का वंदन माथे का चन्दन,

आओ करें नमन इनको करें नमन।

सीमा के प्रहरी माने नहीं थकन,

लाते सदा अमन इनको करें नमन”।

 

धामपुर से राजेश कुमार ने कहा

“दिलों में हमेशा हमारे रहेंगे,

जो अपने वतन को सँवारे रहेंगे”।

 

नैनीताल से आये सत्यपाल सिंह सजग ने कहा…

“रंगा वीरों के लहू बसंत,

शोक लहरों का दिखे न अंत, रंगा वीरों के लहू बसंत”।

 

मुरादाबाद की डॉ अर्चना गुप्ता ने पढ़ा…

“कलम तुम गाओ उनके गान,

तिरंगे की जो रखते आन”,।

 

डॉ. पंकज दर्पण ने…

“अगर पीठ पर वार करेगा,

मुँह की हमसे खायेगा।

जिसने भी अपराध किया है,

अंत समय पछतायेगा”।

 

डॉ. टीएस पाल ने…

“देख जवानों की कुर्बानी,

आज तिरंगा भी रोया है।

सुरक्षा बल का लहू देश में,

वहशत के हाथों खोया है”।

 

हरीश कठेरिया ने…

“जहाँ चाह है वहाँ राह है,

सदियों से सुनते आते हैं।

बढ़ते क़दमों को तूफाँ भी

रोक भला कहाँ पाये है”।

 

डॉ जय शंकर दुवे ने…

“जिनको अपनी मातृभूमि पर,

रहा सदा ही है अभिमान।

धीर-वीर सुत जननी के ही,

पाते हैं जग में सम्मान”।

 

हिमांशी शर्मा ने…

“है कसम अपने ही बाँकपन की हमें,

लाज रखनी है अपने वतन की हमें।

इसके अतिरिक्त रूप किशोर गुप्ता, केपी सिंह, सरल मक्खन मुरादाबादी, डा. अजय, अनुपम सुखपाल कौर, राजीव प्रखर, कुशाग्र चौहान, रवि शंकर, रवि, डॉ डीएन शर्मा, अनिल सारस्वत, राजकुमार चौहान, विवेक कुमार, डॉ मनोज रस्तोगी, डॉ अनुपम गुप्ता आदि ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. माहेश्वर तिवारी ने तथा संचालन डॉ. सौरभ कांत शर्मा ने एवं डॉ. टीएस पाल ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान रामेश्वर सिंहहेमेन्द्र सिंह, सुशिल सुमार, मीनाक्षी सागर, शुभम अग्रवाल, संजय सैनी, तरुण नीरज, सुधीर मल्होत्रा, डॉ अनुपम गुप्ता, शालिनी शर्मा आदि उपस्थित थे।

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