लेखक की कलम से

लॉक डाउन …

इस शब्द से शायद हर शख़्स पहली बार ही परिचित हुआ है। और इतना लम्बा समय शायद हम में से किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। परंतु ये lockdown हमारी बेशकीमती जाने बचाने के लिए बेहद जरूरी है चाहे कितना भी लंबा क्यों न हो। पैसा, काम ये दुनिया सब ज्यों की त्यों रहने वाली है। परंतु प्राण एक बार निकल गये तो वापस नहीं लौटने वाले…!

यह कठिन समय हमें बहुत ही धैर्य के साथ आपसी सहयोग से काटना है जिसमें हमें हमारे चिकित्सकों, पुलिस, प्रशासन इन सभी को अपना पूरा-पूरा सहयोग प्रदान करते हुए हमें एक दूसरे का भी ख्याल रखना है।

महामारी ही ऐसी है जो जान से खेलती है। एक को छूते ही दूसरे शरीर में कब जा छिपे पता नहीं।

अभी तक तो दुर्गा सप्तशती में रक्तबीज नामक दैत्य के विषय में ही ऐसा सुना था कि जितनी रक्त की बूंदे उतने उसी के समान शक्तिशाली दैत्य।

आज विश्व को… कोरोनावायरस से झूझते देख यही आभास होता है कितना लाचार है आदमी…!

धन-दौलत, मान-सम्मान, छोटा-बड़ा, ऊच-नीच इन सभी शब्दों का आज इस बीमारी के समक्ष कोई अर्थ, महत्व नहीं।

अमेरिका, फ्रांस, इटली जापान, ब्राज़ील, चीन जिसे इस वायरस के वितरक के रूप में सभी देश देख रहे हैं परंतु वह भी इसके समक्ष लाचार ही प्रतीत होता है।

हमारे पुराणों के अनुसार समस्त ब्रह्माण्ड में आत्माएं सीमित हैं। जिनमें थलचर, नभचर, जलचर, सजीव वनस्पति जो भी जीव हैं सभी को परमात्मा अपनी वंश वृद्धि का अवसर समान रूप से प्रदान किया है।

परंतु संख्या सीमित है आज यह महामारी समान… अनुपात बनाने के लिए ही व्याप्त हुई है। बहुत से पशु-पक्षी, वृक्ष-दुर्लभ वनस्पति तथा अन्य जल में रहने वाले जीव असमय ही काल के गाल में समा चुके अब उनकी संख्या में वृद्धि और मानवीय संख्या में कमी आ रही है।

प्रकृति की ओर से लाख चेतावनी, प्राकृतिक आपदाएं, भूकंप, जलजले होने के बावजूद उनकी अनदेखी का परिणाम ही है यह कोरोनावायरस…!

यह वक्त की करवट ही समझिए…! कहते हैं ना उसकी लाठी में तनिक आवाज नहीं होती बंदा सिसकता है रोता है मजबूर होता है परंतु कर कुछ नहीं सकता।

या यूं कहिए सौ सुनार की एक लुहार की!!!

©सुधा भारद्वाज “निराकृति”, विकासनगर, उत्तराखंड

परिचय – समाज शास्त्र एवं शिक्षा शास्त्र में एमए, काव्य, गजल, लघु कथा, हाईकू आदि. प्रकाशित – साझां संग्रह- आधी आबादी का संपूर्ण राग. शब्दों का कारवां, क्राइम ऑफ नेशन, स्थानीय व राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेख व रचनाओं का प्रकाशन.

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