लेखक की कलम से

सुनाई देती है रणभेरी …

 

सुनाई देती है रणभेरी प्रभो आ प्रभु  देश को  बचालो

टूट रही है सांसे अपनों की प्रभो आकर इन्हें थमा लो ।

 

पलट देखिये वो अस्पताल

जो बदल रहे शमसानों में

छिड़ गया गृहयुद्ध जब नायक जा बैठे है मचानों में

बीच फुटपाथ जन्म दे माँ आ प्रभो उसको संभालो ।

 

भटक रही है इधर उधर देश की  है कर्मठ श्रम शक्ति

प्रान पड़े हो जब संकट में तो दिखा पाए न  भक्ति

दूर है बसेरा इनका इतना

आ प्रभो घर को पहुँचा द़ो ।

 

जूझ रहे कोविड 19 से

युद्ध को भी  मिल झेला है

जीतेंगे तो हम ही  क्योंकि साथ एक सौ तीस करोड़  रेला है

अपनी इस अनुपम कृति को

नापाकों से प्रभो तुम बचालो ।

 

    ©डॉ मधु त्रिवेदी, आगरा, उत्तरप्रदेश    

परिचय :- शांतिनिकेतन कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट आगरा में प्राचार्य, राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी में क्वार्डिनेटर, सारस्वत सम्मान, श्रेष्ठ साहित्यकार सम्मान, क्वीन ऑफ आगरा सम्मान। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन.

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