लेखक की कलम से
मंजर बदल दिया…
तेरे बहते हुए आंसुओं ने।
मंजर बदल दिया।।
सोचा था बांट लें गम।
तेरी सिसकियों ने मुझे।।
इस कदर बदल दिया।
गुलाब समझकर तुझे।।
दिल बहलाने आये थे।
खुश्बुए इश्क मेरा,
तेरे दर्द में बदल गया।।
©ममता गर्ग, ठाकुरगंज, लखनऊ, उत्तरप्रदेश