लेखक की कलम से

नज़ारे …

 

देखते ही खूबसूरत नज़ारे …

एक चित्रकार उतार लेता है

नज़ारों को कैनवास पर,

एक फ़ोटोग्राफ़र क़ैद कर लेता है

उन नज़ारों को कैमरे में,

और

एक कवि अपनी कविता में।।

 

और मैं …

देखता रह जाता हूँ

उन नज़ारों को,

उन में खोए हुए

दिल में उतारता चला जाता हूँ,

उनमें जीता चला जाता हूँ।

 

©अमित राज श्रीवास्तव, सीतामढ़ी (बिहार)  

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