लेखक की कलम से

वादे वफा …

ग़ज़ल

 

“भुलाकर दुनियां, खुद को गुमनाम कर लिया।

इतना चाहा है तुझे अपने नाम कर लिया।।

 

कल तक जो था साँसों में मेरा जाने जिगर

उसकी खातिर खुदी को बदनाम कर लिया।।

 

कहता तुम्हीं से खुशियाँ तुम्हीं मेरी जिंदगी।

उसने ही खत्म अब एहतराम  कर लिया।।

 

प्यार मेंं वादे वफ़ा का क्या सम्मान दे दिया।

उसने गम़ को हमारा इनाम कर लिया।।

 

छोड़कर मुझको उसने किया है गजब।

दिल तोड़ मेरा जीना बेकाम कर लिया।।

 

सोचा था जीवन गुजारेंगे उसके साए तले।

यादों से जाने का उसने इंतजाम कर लिया।

 

इश्क में जो जख्म दिल पर लगा इस तरह।

हमने हँस कर दिल को नीलाम कर लिया।।

 

बारिश की फुहारों ने इस तरह मन को भीगाया।

जैसे सूखे जख्मों को फिर से हरा कर दिखाया।।

 

मांगकर सबूत ए वफ़ा उसने मुहब्बत का।

उसने खुद नफरतों का पैगाम कर लिया।।”

 

©अम्बिका झा, कांदिवली मुंबई महाराष्ट्र           

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