लेखक की कलम से

नया इतिहास …

 

भारत के

गांवों और शहरों से उठ कर

ट्रैक्टर ट्रालियों को सजा संवार के

काफिले बना

अपने जिस्मों पर

पुलिस की

लाठियां खाते

गंदे पानी की बौछारें झेलते

सरकारी संसाधनों से उठाए

और रास्तों में बिछाए

कई कई टन भारी पत्थर

हाथों से धकेल कर

हकूमत द्वारा खोदे

पंद्रह पन्द्रह फुट गहरे गढ्ढे

मिनटों में बराबर करते

अश्रु गैस के गोलों का

धुआं चीर कर

सहनशीलता और मुस्कराहटें बांटते

दिल्ली की तरफ बढ़ते

दिल्ली को घेर कर

हक्क और सत्य के नारे लगाते

वक्त की हकुमत के तख़्त को

कंपकंपी छेड़ते लोगों का हजूम

क्या है ??

 

ये सिर्फ

हड्डियों लहू मांस के पुतले नहीं हैं

बल्कि

किसानों मजदूरों के अधिकारों की

लूट के खिलाफ

भारत की मिटटी से जन्मा विद्रोह

भारत की धर्मी पृथ्वी के

दिल में पलता

मनुष्यता के लिए स्नेह

गुरुओं पीरों फकीरों के

आशीर्वाद की छुअन

और जुझारू विरासत की

लट लट जलती लौ है

 

यह जोश और होश का अनूठा संगम

शीश को हथेली पर रख कर

खेलने वाला खेल

और हिन्दू सिक्ख मुसलमानों के बीच की मुहब्बत

बड़े छोटे भाई वाला आदर

एक दूसरे का सहारा बन

लिखा गया नया इतिहास भी है……

 

©सुरिंदर गीत, पंजाब

 

पंजाबी से अनुवाद : अमरजीत कौंके  

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