लेखक की कलम से

मोहब्बत…….

जिसे सुकून  की चाहत हो , वो दौलत माँगता है क्या
मोहब्बत  करने वाला दिल मोहब्बत माँगता है क्या
तुम्हारा दिल करे जब भी उजाला बन के आ जाना
उगता हुआ  सूरज इजाजत  माँगता है क्या
कभी दिलबर की रहमत हो
चिराग रोशन हो दिल की बगिया के
तेरा जाना हकीकत है•••••
मगर  दिल मानता नही
वीरान गलियो मे गुमनामी के
दस्तक मे तेरा ही नाम मिलता है।
सुबह तेरी ,शाम तेरी ,हर पल याद तेरी
मेरे हर रोम रोम पर अब तेरी यादो का कब्जा है।
हवा के झोके मे तुम हो
मुझे महसूस  होता है।
यकीन कितना भी दिलवाऊँ
मगर मेरे नही हो तुम
साँसो मे,यादो मे मगर लकीरो मे नही हो तुम
बातो मे ,ख्यालो मे,मगर किस्मत  मे नही हो तुम
यकीन  कितना भी करवा लो मगर मेरी नही हो तुम
हसीन ख्वाब का झोंका हो••••
हकीकत  मे नही हो •••
सुख••••
आंक्षी की तमन्ना है,ख्वाब मे ही खो जाए।
मुनासिब  हो नही सकता•••••
हकीकत वीरान लगती है•••••
यकीन कितना भी दिलवाओ मगर
मेरे नही हो तुम••••

©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा

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