एक और सबक …
श्रेया तुम बताओ आन्सर- जैसे ही श्रेया आन्सर देने उठी कोचिंग में एक लडका हंसने लगा- ये देख श्रेया को गुस्सा आ गया-
(श्रेया एक बार भडक जाये तो फिर बात बहुत आगे तक जाती है ये सब जानते हैं)
“तू खडा हो,, तेरी हिम्मत कैसे हुई हंसने की,,
श्रेया मैं भी हूं क्लास में “सर ने श्रेया को चुप कराने की कोशिश की तो
“हां सर आप हैं इसलिए तो- इसलिए तो, इसकी हिम्मत कैसे हुई,, आप न होते तो अब तक इसकी बत्तीसी तोड चुकी होती”
“ठीक है ठीक है, अब शान्त हो जाओ, और आन्सर दो “
“नहीं सर- अब आन्सर मैं नहीं, ये देगा,,,चल खडा हो जा सोल्व कर ये क्वेश्चन”
“आई डोन्ट नो सर” लडका बोला।
“तो फिर हंसा क्यों “श्रेया को तो जैसे सर पर खून ही सवार हो गया था।
“कल से ये कोचिंग में नहीं होगा सर- अगर आया तो फिर मत कहना”
सब चुप, अब क्या करें, दोनों के पेरेन्टस बुलाये गये।
दामिनी (श्रेया की मां) ने छोटे बेटे को साथ लिये पहुंच गईे कोचिंग।
सारी बातें सुनने के बाद सब चुप थे,,, सब दामिनी की तरफ देख रहे थे क्योंकि श्रेया किसी की बात सुनने को तैयार न थी सिवा माँ के, दामिनी का बेटा ये सब देखकर हँसे जा रहा था।
दामिनी ने अपने छोटे बेटे की तरफ देखा और बोली “इधर आ एक और सबक याद करातीं हूं- लडके रोते नहीं, लडके रूलाते भी नहीं- दूसरा सबक लडके लडकियों को देख उनकी हंसी भी नहीं उडाते- समझे”
मेरे ख्याल से बात सबकी समझ में आ गई होगा। सब सन्न,, अब हंसने की बारी श्रेया की थी।
©रजनी चतुर्वेदी, बीना मध्य प्रदेश