लेखक की कलम से
मैं कौन हूँ …
मैं मानव ‘योनि’ हूँ
एक उम्र गुज़र जाती हैं
बस ये जानने में कि
मैं कौन हूँ?
और क्यों हूँ?
तमाम प्रयोग करतीं हूँ
और अंत में बस हाथ खड़े
कर देती हूँ
मैं कौन हूँ?
बस ये ही प्रश्न बना
रहता है।
इस गूढ़ प्रश्न का उत्तर
ढूंढने में।
परिणाम यही कि
मैं ‘शून्य’ हूँ
अनेक पथ पर चलती हूँ
ज्ञान प्राप्ति के!
भक्ति के!
कार्य के!
और न जाने क्या क्या के!
यह पता लगाने में कि
मैं……
मात्र बस एक मानव ‘योनि’ हूँ
बस एक आत्मा हूँ
या बोलू की शून्य हूँ …
?मैं कौन हूँ?
©डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद