लेखक की कलम से
तुम्हारी अदाएं …
तुम्हारी अदाओं पर हम इस तरह मर मिटे
तुम्हें देखा तो देखते ही रह गये
मन व्याकुल हो उठा मन बैचेन हो गया
बस कदम तुम्हारे तुम्हारे छोड़े निशानों पर रखते चले गये
सोचा कभी तो मुड़ोगे ऑखें चार करोगे
हमारे दिल की दास्तान कभी तो सुनोगे
तुम्हारी शोख हंसी और गालों के डिम्पल
हमारी जान ले गये तुम्हारी अदा पर हम मर मिटे
बार बार उस नटखट लट का तुम्हारे रुखसार को चूमना
सर झटक कर उस को हटाना हाय!!! हमारी जान ले गया
बस……
तुम्हारी इन्हीं अदाओं के हम दिवाने हो गये
आज सब कुछ भुला कर तुम्हारे पीछे हो लिये
एक बार फिर से तुम्हें देखने की चाह न छोड़ सके
हम तुम्हारी अदाओं पर हम यू मर मिटे
©मोनिका जैन, मुंबई