लेखक की कलम से
कष्ट हरो डमरूवाला …
अमित घर में कैद हुए हैं,
कैद हुआ नटखट बाला।
संकट में ही देव दिखे सब,
जपत रहे कंठी-माला।।
कोरोना के डर से बीवी,
मायके भी नहीं जाती है।
असमंजस यह आन पड़ी है,
कष्ट हरो डमरूवाला।।
©प्रेमिश शर्मा, कवर्धा, छत्तीसगढ़