लेखक की कलम से
कविता का श्रृंगार …
आज विश्व कविता दिवस
मेरे शब्द, संवेदनाएँ मेरी
कविता का श्रृंगार है
मखमल में लिपटे हुए शब्द,
नहीं सँवारते मेरी कविता,
दो टूक बात करते शब्द
मेरा काव्य संसार है ।
जानती हूं मैं !
कविता
बिरह का गीत, रुदन- संगीत है,
फिर भी सकारात्मक सोच ही,
मुझे सदैव स्वीकार है ।
मेरी कविता बँधी नहीं है,
छान्दसिक बंधनों में ,
मुक्तक शैली अपनाता ,
मेरा कविकार है ।
रवि भी जहाँ पहुँच ना पाए ,
मेरे भीतर के कवि को,
उन ऊँचाइयों से प्यार है ।
कल्पना की उड़ान से
छूट जाता है ‘सत्य’ पीछे कहीं
‘यथार्थ’ जन-जन तक पहुँचाना
मेरा ध्येय अपार है
मेरे शब्द संवेदनाएं मेरी
कविता का श्रृंगार है ।
©डॉ रत्ना शर्मा, जयपुर