लेखक की कलम से

तिरंगा ….

 

लहरा रहा नील गगन में प्यारा वो तिरंगा है।

विश्व विजयी प्यारा प्यारा देश की शान तिरंगा है।।

 

त्याग, प्रेम जो सिखाये वो केसरिया प्यारा है,

एकता का भाव देता,ऐसा केसरिया प्यारा है,

निस्वार्थ प्रेम में रंग जाओ,केसरिया का नारा है,

कदम बढ़ाओ देश धर्म पर,केसरिया ने पुकारा है।

 

लहरा रहा….

विश्व विजयी….

जयहिंद, जयहिंद, जयहिंद

 

सत्य,अहिंसा जो सिखाये वो श्वेत रंग प्यारा है,

सादगी,सत्यता का प्रतीक श्वेत प्यारा प्यारा है,

चौबीस गुण जो सिखाये वो अशोक चक्र प्यारा है,

पूर्णता गुणों से लाओ,अशोक चक्र ने पुकारा है।

 

लहरा रहा….

विश्व विजयी…..

जयहिंद, जयहिंद, जयहिंद

 

 

सुख,समृद्धि,खुशहाली देता,वो हरा रंग प्यारा है,

संपन्नता का प्रतीक हरा रंग प्यारा प्यारा है,

कर्तव्य पथ पर तुम बड़ो,हरे रंग का नारा है,

प्रकृति संग प्रगति करो,हरे रंग ने पुकारा है।

 

लहरा रहा..

विश्व विजयी…

जयहिंद, जयहिंद , जयहिंद

 

रंगे जन जन का अंतस भी आज तिरंगे के रंग में,

भीगे कण कण भी मेरा,आज बस तिरंगे में,

कर तिलक इस माटी का,तिरंगे में रंग जाना है,

सिखाता हमे जो तिरंगा,उस पथ पर कदम बढ़ाना है।।

 

लहरा रहा….

विश्व विजयी…

जयहिंद, जयहिंद, जयहिंद

 

©अरुणिमा बहादुर खरे, प्रयागराज, यूपी           

Back to top button