लेखक की कलम से

आडम्बरों से परे वास्तविकता में कितनी अलग होगी कोरोना काल के बाद की दुनिया …

तमाम अव्यवस्थाओं और आपाधापी के बाद अब मस्तिष्क का जोर इस बात पर लगने लगा है की समस्त मानव जीवन में बिना किसी आर्थिक, सामाजिक या भौगोलिक भेदभाव किए  उथल-पुथल मचा देने वाला कोरोना काल के बाद का दृश्य कैसा और क्या होगा? विश्व के सभी सरकारी, गैर सरकारी, निजी तंत्र के सांस फुला देने वाले इस कोरोना महामारी ने बहुत सी विफलताओं से पर्दा हटाया है। विश्व के समस्त क्रियान्वयन पर प्रश्न चिन्ह लगाया है, हर दिन बढ़ रही लाखों की तादात में कोरोना संक्रमितओं की संख्या इस बात का पुख्ता सबूत है।

वैश्विक स्तर पर अव्यवस्थाओं के दौर में नागरिकों ने फेल हो रहे चिकित्सा तंत्र को भी अपनों की जान जाते हुए महसूस किया। इसी कोरोना काल ने बच्चों से जुदा हो चुके बचपन से मिलवाया। बेरोजगारी, पलायन, भुखमरी जैसे कुंठित सामाजिक और आर्थिक द्वेषों से भी मनुष्य हृदय विदारक पीड़ा को महसूस किया। इतना सब कुछ कष्टकारी होने के बाद भी उम्मीद होती है नए सुबह की, एक अच्छे कल की जहां संभावनाओं की अपार पराकाष्ठा हो, लेकिन उन संभावनाओं को समझने के लिए जरूरी यह है कि हम वर्तमान के बदलाव को समझें जिससे न्यूनतम इतना अंदाजा लगाया जा सके कि आज से आने वाला कल कितना बेहतर होगा।

भारत सरकार की माने तो लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को वेंटिलेटर आईसीयू बेड तथा अन्य जरूरी उपकरणों से लैस कर पहले की अपेक्षा व्यवस्था को कुछ सुदृढ़ किया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों को प्रारंभिक शिक्षा में किए गए बदलाव से अब पहले की अपेक्षा बच्चों में  पढ़ाई को लेकर ज्यादा जिज्ञासा और उमंग देखने को मिलेगा जो बच्चों के सतत  मानसिक विकास के लिए जरूरी है।

फिजिकल डिस्टेंसिंग के दौर में डिजिटल हो गए युग से विभिन्न ऑनलाइन एजुकेशनल प्लेटफॉर्म पर छात्रों के लिए पहले से कहीं ज्यादा पठन-पाठन सामग्री तथा उपयोगी सोर्स मौजूद है जिससे छात्रों में एक अलग समझ विकसित होने की संभावनाओं की उम्मीद की जा सकती है। इतने दिनों तक मास्क के उपयोग की आदत कोरोना के खत्म होने के बाद भी दूसरे विषाणु के फैलाव को रोकने में कारगर सिद्ध होगा। पूरी तरह से बदल चुके मनुष्य के दिनचर्या से लेकर समस्त व्यवस्थाओं तक यही देख कर लगता है की कोरोना एक विघ्न था तो एक व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने का अवसर भी। खैर एक नागरिक के तौर पर उम्मीद यही की जा सकती है कि सरकारी व्यवस्थाएं पहले से बेहतर हुई हों इन दिनों में, जिसका लाभ हम सभी को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आने वाले समय में मिलता रहे ।

  ©आयुष मिश्रा [संस्थापक युवान फाउंडेशन], प्रयागराज यूपी    

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