भूपेश बघेल का ड्रीम प्रोजेक्ट … प्रस्तावित गौठान में मध्यप्रदेश के भूमाफिया का कब्जा …
मरवाही। छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा के माध्यम से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान किया जा रहा है लेकिन भूपेश बघेल के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के अंतर्गत निर्माण होने वाले गौठान के लिए प्रस्तावित चारागाह की निस्तारी / सरकारी जमीन भी अब सुरक्षित नहीं है। इन सरकारी जमीनों पर भी अब भूमाफिया खुलेआम अतिक्रमण कर रहे हैं।
खबर नवनिर्मित जिला जीपीएम के मरवाही क्षेत्र के मध्यप्रदेश की सीमा से लगे ग्राम पंचायत मालाडांड की है।जहाँ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के महत्वकांक्षी गौठान योजनाओं धज्जियां उड़ रही हैं। मध्य प्रदेश सीमा से लगे हुए ग्राम पंचायत मालाडांड में जहा समस्त ग्रामवासी, सरपंच और सचिव के पूर्ण सहमति से गौठान योजना हेतु शासकीय जमीन की खसरा नंबर 39/1 रकबा 2.932हे. को गौठान योजना हेतु स्वीकृति प्रदान किया गया था पर वह प्रस्तावित सरकारी जमीन भी अब सुरक्षित नहीं रहा और उस जमीन को मध्यप्रदेश का एक स्थानीय निवासी दिनेश जायसवाल खुले आम अतिक्रमण कर रहा है।
ज्ञात हो विगत दिनों ग्राम पंचायत मालाडांड के सरकारी जमीन पर कब्जा का दावा करने वाले मध्य प्रदेश के ग्राम चोलना निवासी दिनेश जयसवाल पिता रामचरण जयसवाल के द्वारा ग्राम पंचायत मालाडांड सरपंच सचिव और अज्ञात व्यक्तियों के द्वारा उनकी फसल पर जानवर छोड़ने का आरोप लगाया जा रहा था।उसका कहना है कि यह सरकारी जमीन मेरे पिताजी के आयुर्वेदिक चिकित्सा के बदले परिश्रमिक के तौर पर यहां के 15 लोगों के द्वारा हमे प्रदान किया गया था और इस पर हमारा पूरा अधिकार है।
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत मालाडांड कि उक्त सरकारी जमीन चारागाह के निस्तारी भूमि है।उक्त भूमि के अतिक्रमण की शिकायत लगातार किया जाते रहा है, सरपंच के माध्यम से हमने कई शिकायत भी किया है, ग्रामीण और सरपंच के माध्यम से तहसीलदार महोदय और एसडीएम महोदय के समक्ष शिकायत देने के बावजूद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।वहीं ग्रामीणों का कहना है दिनेश जायसवाल के द्वारा लोगों को डरा धमका कर दबंगई से कब्जा कर लेने की बात कही है।
मलाडांड के सरपंच सोनू सिंह व सचिव का कहना है कि उक्त भूमि पर गांव वालों की मंसानरूप गौठान प्रस्तावित है और उक्त व्यक्ति द्वारा जबरदस्ती शासकीय भूमि पर कब्जा किया जा रहा है।वहीं स्थानीय पटवारी ने भी इस बात की तस्दीक की है कि वह भूमि सरकारी ही है।
वही ग्रामीणों के कई कार्यालयों के चक्कर काटने के बाद भी अभी तक उक्त व्यक्ति के विरुद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही नही हुई है। सवाल यह भी उठता है कि यदि सरकारी जमीन /निस्तार भूमि को ही यदि ऐसे ही अतिक्रमण किया जाने लगा तो ग्रामीणों के गाय भैंस के उचित चारागाह की व्यवस्था कैसे होगी। ऐसे में गौठान योजना से ग्रामीण जनों के आर्थिक विकास कोरी कल्पना ही दिखाई दे रही है।
बहरहाल अब देखना यह होगा कि छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा गरवा घुरवा बारी योजना अंतर्गत गौठान हेतु आरक्षित सरकारी जमीन के चारागाह/ निस्तारी अतिक्रमण पर शासन प्रशासन के द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है ?